करांगासेम,07 दिसंबर ( न्यूज़ अपडेट इंडिया ) इंडोनेशिया के हिंदू बहुल बाली द्वीप में हजारों स्थानीय लोगों ने ज्वालामुखी के खतरे वाले इलाके से हटने से इन्कार कर दिया है। अपनी किस्मत को भगवान भरोसे छोड़कर वे अपने घरों में ही रह रहे हैं। लंबे समय से शांत तीन हजार मीटर ऊंचा माउंट अगुंग ज्वालामुखी फिर धधक उठा है। उससे राख और धुंआ निकल रहा है। इसकी वजह से इंडोनेशिया की सरकार ने ज्वालामुखी के दस किमी के दायरे में रह रहे लोगों को वहां से हटने की सलाह दी है। तीन दिन से बंद बाली का इकलौता अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे बुधवार को फिर खोल दिया गया। इससे द्वीप पर फंसे हजारों विदेशी सैलानी अपने-अपने देश लौटना शुरू हो गए हैं।
खोजी और बचाव टीमें खतरे वाले क्षेत्र में रोजाना छानबीन कर रही हैं। उनका कहना है कि कुछ लोगों ने अपने पशुओं को छोड़कर जाने से मना कर दिया तो कुछ आध्यात्मिक कारणों से जाना नहीं चाहते। बाली की खोजी और बचाव एजेंसी के प्रमुख जी अरदाना ने कहा, 'सरकार ने इस क्षेत्र से लोगों को हटाने का आदेश दिया है, लेकिन कुछ लोग देरी कर रहे हैं या जाना नहीं चाहते। हम उन्हें विवश नहीं कर सकते लेकिन यह हमारी जिम्मेदारी होगी। इसलिए हमें उन्हें समझाने की जरूरत है।'
आपदा प्रबंधन एजेंसी के अनुसार, अब तक 43 हजार लोग विशेष शिविरों में शरण ले चुके हैं। लेकिन खतरे वाले इलाके की आबादी 90 हजार से एक लाख के बीच है और इनमें से कई जाने से मना कर चुके हैं। 33 साल की इका वरदानी का कहना है कि वह रात में राहत शिविर में सोती हैं लेकिन दिन में दस किमी दूर अपने पशुओं के पास लौट जाती हैं।